कभी यूँ भी तो हो मेरे कुछ कहने से पहले तुम मुझे गले लगा के छुओं मेरे आने वाले आंसूयो को अपने चिलमन में यूँ बुनो मेरी अंकही बातों को तुम अपने दिल में यूँ सुनो मैं कौन हूँ मेरे सपने हैं क्या तुम मुझसे ज़्यादा उनको जीयो मेरे छोटे छोटे अरमानो को तुम समझो खुदा का फ़रमान और मेरी नादानियों को तुम मानो इश्क़ का सम्मान कभी मुझे लगे की तुम मेरे बिन शायद अधूरे हो कभी मुझे लगे तुम्हारे बिन ये रैना बहुत अंधेरी है कभी यूँ भी तो हो....
In the depths of winter... I discovered in me incredible summers!